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Prajakta Gavhane

Novelist   |   Lyricist   |   Film  writer

"कविता म्हणजे जीव की प्राण .. 

रोमँटिक लोकांचं रंगीलं पान !
असं समजून एखादा वेडा खरंच कविता लिहायला बसतो ..
शहाणा होऊन तेव्हाच उठतो 

जेव्हा कविता जगायला शिकतो !"

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Novels

“Literature is a luxury; fiction is a necessity.”

यह कहानी है जंगल में लॉकडाऊन की। 

कोरोना के आतंक ने समूचे विश्व को उल्टा - पुल्टा कर दिया। शहरों को स्थानबद्ध कर दिया। पैसा और भौतिक उन्नति के पीछे पागलों की तरह दौडने वाले गतिमान इन्सानों के पैरों में मानो बेडियाँ डाल कर उन्हें अवरुद्ध कर दिया। स्पर्श को इतनी अहमियत देने वाला इन्सान स्पर्श से कतराने लगा। उसका भरोसा उठ गया स्पर्श से! विचार - विमर्श होने लगा। लोग कहने लगे कि मनुष्य को प्रकृति की ओर लौट जाना चाहिए।

‘कोरोण्यकांड’ की कहानी आपको ऐसे लोगों से मिलाती है, जो प्रकृति का ही एक हिस्सा है सदियों से! वे प्रकृति की गोद में पले - बढे हैं। वृक्ष - लताएँ - पशु - पंछी उनकी संस्कृति का अविभाज्य अंग हैं। इन लोगों को भी लॉकडाऊन के दिन देखने पडे। 

मराठी भाषा में लिखा गया शायद यह पहला उपन्यास है जो लॉकडाऊन की स्थिति और परिणामों के वास्तव रूप को उजागर करता है। अब हिन्दी अनुवाद के माध्यम से यह उपन्यासिका अपनी भाषिक सीमाओं से परे पहुँच कर एक नए रूप में आपके सामने प्रस्तुत है।

Cover Coronyakanad Hindi

Excerpts from Books

कोरोण्यकांड अब हिन्दी में

अध्याय दो

कोरोण्यकांड मराठी

रंगवेड्याचं पत्र

​एकदम बिनधास्त

Climax

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This page is last modified in April 2025

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